Sunday 8 May 2011

varnan of uttaralakshmi

एवं श्री पीठ करहाटक,महाक्षेत्र त्रिगुणात्मक 
महालक्ष्मी सर्व व्यापक ,वसे विश्वैक विश्वेसी 
ऐसेही  पीठीजे  वसे पद्मा ,पद्मासनी सौंदर्य समा 
पद्म हस्ता पद्मवक्त्रा  पद्मनाभा पद्माक्षी वामा 
आष्टांगी सुंदर सर्व भुषणी,पादाग्रं गुल्फ कटी  कंठस्थानी 
नासा भाळ कर्ण मस्तक वेणी ,दंड पाणी आंगोळ्या
नासिकी शोभे जडित सुपाणी,रक्तअधर प्रवाळ वर्णी 
दंत पंक्ती  प्रकाश आननी ,उपमा उणी चंद्राची 
भाळी कुंकुम  भाळ टिळक ,निस्तेज  तेथे  अरुणाग्नी फिक 
त्या महातेजी रवी मयंक ,जाहले तांटंक उभय कर्णी
मस्तकी कुंतल नभ केवळ ,दीर्घ वेणी सलंब सरळ 
नक्षत्र सेना मुक्ताफळ ,सह तेजाळ स्वप्रभा 
आरक्त कंचुकी पीत वसने,देखोनी दामिनी लज्जित मने
रमातेज चैतन्य घन ,जैसी संपूर्ण पौर्णिमा 
एसिजे ब्र्ह्मीची चित्कळा,स्वये प्रकाशी जियेचा सकळ
प्रभाशक्ती चंद्रार्क आनळा,नक्षत्र मेळां विश्वादी 
सकळभागर्भ संभव स्वयंभा,भास्करादीक आभरण शोभा 
स्वप्रभा भरुनी  जगदांरंभा लंघोनी नभा उमगली 
एसी हे रमा  परावामा .ब्र्ह्मोद्भावा  ब्रह्मांड प्रतिमा 
ते रमा तेजे सौन्दर्य सीमा ,पाहता ब्रह्मा विस्मित 
ते उत्तरा लक्ष्मी परानाम्नी ,मुळपीठ करहाटक निवासिनी 
षोडश हस्तायुधेधारिणी ,पद्मासनी  पश्चिममुखा 
ते महालक्ष्मी  आलक्ष ,लक्षिता  सहस्त्राक्ष  नव्हे  दक्ष 
सर्व लक्षणी  दीक्षा अपरोक्ष ,भक्त कै पक्ष रक्षति  

No comments:

Post a Comment